22 April 2011

शहर


उसने ,
अपने पसीने से
शहर की ,
बगिया को सींचा.

उसने ,
अपने रतजगे से,
शहर की ,
पहरेदारी की,

उसने,
अपने श्रम से,
शहर की,
इमारतें खड़ी की,

उसने,
सब कुछ छोड़,
शहर से ,
आशनाई की,

पर...
हाय  रे हतभाग्य...
उसे उसी शहर ने,
बेदखल कर डाला,
क्योंकि ,
वोह उस शहर की बोली वाला ,
जात वाला
  था.

14 April 2011

एक चाँद ...


एक गोलाकार आकृति,
माथे की बिंदिया,
एक और गोलाकार आकृति,
 रोटी.


गोलाकार आकृति....
एक के लिए,
माथे की बिंदिया,
दुसरे के लिए,
 रोटी.


किसी ने चाँद में
किसी का बिंदिया देखा,
तो....
किसी ने
चाँद में,
रोटी देखा.
भरा पेट
माथे  की  बिंदिया,
खाली पेट
रोटी.....


एक चाँद ...
जो दोनों है.