पिछले ब्लॉग में अपने देश के बारे में गौरवान्वित करने वाले तथ्यों को जानकर मन बहुत गर्वित हुआ. , लेकिन ठीक इसके उलट तस्वीर का एक दूसरा पहलु भी है. इस पहलु को देखने के बाद लगता है की हमारी जिम्मेदारी और जवावदेही और बढ़ जाती है. तस्वीर के इस दुसरे पहलु से हमलोग मुह नहीं मोड़ सकते.. कम सें कम बागी सोच रखने वाले हमारे बुद्धिजीवियों से तो मेरी ऐसी ही उम्मीद है. पेश है चंद बानगियाँ :
बेचारे निरीह जानवरों का चारा आदमी खा जाता है.
पूरी हिंदी और थोडा सा अंग्रेजी जानने वाले लोग अंग्रेजी के अपना परिचय देते है,
पूरी हिंदी और थोडा सा अंग्रेजी जानने वाले लोग अंग्रेजी के अपना परिचय देते है,
एक महिला द्वारा शासित राज्य में शासन के पहरुवो द्वारा द्वारा ही महिला की इज्जत लुट ली जाती है,
मुर्दा दफ्नावे के लिए VIP ( समाज के रुतबा वाला लोग ) लोगो के लिए VIP कब्रगाहें है,
देवता दूध पिने लगते है, और समुन्दर का पानी मीठा हो जाता है,
देव दर्शन के लिए VIP वाला लाइन रहता है ,
देवता से मनोकामना (?) पूरी करने की खातिर के चढावा का लालच दिया जाता है,
घर में कुत्ते पाले जा रहे है और माँ - बाप को Old age home (वृधाश्रम ) में भेज दिया जा रहा है,
लड़की पैदा होने पर मात्र औरत को दोष दिया जाता है ,
हरे (सम्पन्नता के सूचक ) लोगों को लाल कार्ड ( गरीबी के सूचक ) बनाया जाता है,
जनता के सेवक (?) जनता के पैसा से जहाज से घूमते है, AC (शीत - ताप नियंत्रित ) में रहते है, , बाकि जनता का क्या होता है, क्या ये भी बताना पड़ेगा?
एक देश में ही कई देश हो गया है,, एक राज्य के लोग दूसरा राज्य में लतियाये जा रहे हैं.
डॉक्टर गुर्दा बेचता है , नेता देश बेचता हैं.
अपने ही देश में , अपने ही देश के राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर रोक लगाया जाता है ,
कुदरत से छेड़छाड़ करने के कारण कहीं डूबता है तो कहीं सूखता है,
जितना बड़ा अपराधी , भविष्य में उतना बड़ा समाज सेवक (आज कल का काफी प्रचलित शब्द ,( नेता लिख कर मै इस शब्द का अनादर नहीं करना चाहता ) बनने की गारंटी है,
गाँव बूढों से अटा पड़ा है शहर जवानो से कोंचा जा रहा है,
साधू लोग 'स्वाद ले रहे हैं ( तन के , धन के , मन के ) ,भक्तों को इन्द्रिय निग्रह का उपदेश दिया जा रहा है,
अब और कितना सुनेगे ? इस तरह की विडम्बनाये लिखने बैठा जाये तो संभवतः एक महाकाव्य का सृजन हो जाये,
अंत में :
blood group ( रक्त समूह ) मिलाने की जगह कुंडली मिलाने पर ज्यादा जोर दिया जाता है,
धोति वाला कम रहा है, टोपी वाला खा रहा है,
जय हिंद..
देवता दूध पिने लगते है, और समुन्दर का पानी मीठा हो जाता है,
देव दर्शन के लिए VIP वाला लाइन रहता है ,
देवता से मनोकामना (?) पूरी करने की खातिर के चढावा का लालच दिया जाता है,
घर में कुत्ते पाले जा रहे है और माँ - बाप को Old age home (वृधाश्रम ) में भेज दिया जा रहा है,
लड़की पैदा होने पर मात्र औरत को दोष दिया जाता है ,
हरे (सम्पन्नता के सूचक ) लोगों को लाल कार्ड ( गरीबी के सूचक ) बनाया जाता है,
जनता के सेवक (?) जनता के पैसा से जहाज से घूमते है, AC (शीत - ताप नियंत्रित ) में रहते है, , बाकि जनता का क्या होता है, क्या ये भी बताना पड़ेगा?
एक देश में ही कई देश हो गया है,, एक राज्य के लोग दूसरा राज्य में लतियाये जा रहे हैं.
डॉक्टर गुर्दा बेचता है , नेता देश बेचता हैं.
अपने ही देश में , अपने ही देश के राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर रोक लगाया जाता है ,
कुदरत से छेड़छाड़ करने के कारण कहीं डूबता है तो कहीं सूखता है,
जितना बड़ा अपराधी , भविष्य में उतना बड़ा समाज सेवक (आज कल का काफी प्रचलित शब्द ,( नेता लिख कर मै इस शब्द का अनादर नहीं करना चाहता ) बनने की गारंटी है,
गाँव बूढों से अटा पड़ा है शहर जवानो से कोंचा जा रहा है,
साधू लोग 'स्वाद ले रहे हैं ( तन के , धन के , मन के ) ,भक्तों को इन्द्रिय निग्रह का उपदेश दिया जा रहा है,
अब और कितना सुनेगे ? इस तरह की विडम्बनाये लिखने बैठा जाये तो संभवतः एक महाकाव्य का सृजन हो जाये,
अंत में :
blood group ( रक्त समूह ) मिलाने की जगह कुंडली मिलाने पर ज्यादा जोर दिया जाता है,
धोति वाला कम रहा है, टोपी वाला खा रहा है,
जय हिंद..
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