16 October 2011

तिरोहित होती थाती:


भारतीय गजल सम्राट स्व. जगजीत सिंह ( स्व. शब्द लिखते हुए असीम पीड़ा का बोध हो रहा है) का निधन मात्र एक व्यक्ति का अंत नहीं वरन एक युग का अंत है. उनके गाये गजलों में ओज, सादगी, और आम लोगों को समझ में आने वाले शब्दों और अंदाज के कारण ही जगजीत सिंह हरदिल अजीज और हिन्दुस्तानी गजल गायकी के एक सशक्त ध्वजवाहक थे.
जगजीत जी का निधन कई सवाल खड़े कर गया है, वर्तमान भारतीय संगीत, चित्रकला, अभिनय, लेखन (यानि कला की हर विधा) में धीरे धीरे तिरोहित होती कालजयी कलाकारों के अवसान से उत्पन्न रिक्तता की भरपाई क्या हम कर पा रहे है? क्या आज के भौतिकतावादी दौर में (जहाँ पैसा ही जीवन का मूल लक्ष्य है) हम दूसरा कोई जगजीत सिंह, पंडित भीमसेन जोशी, विस्मिल्लाह खान , बच्चन आदि को  भारतीय कला क्षेत्र के  विभिन्न विधाओ में जन्म लेने की आशा कर सकते है?
ऐसी मान्यता है की कला प्रकृति प्रदत्त गुण होता है. अभ्यास के द्वारा उसे और उन्नत और परिष्कृत बनाया जा सकता है. समाज में उन लोगों पर ये नैतिक जिम्मेदारी बनती है की जिन्हें प्रकृति ने इन गुणों से नवाजा है वो सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए कला की साधना एक साधक के रूप में करे,और उस कला को आगे की पीढ़ियों को हस्तांतरित करे. इस दौर में सफलता और सुविधाएँ तो आ ही जाती है.
हमारी पिछली पीढ़ियों ने हमें बेहतरीन गायक, चित्रकार, लेखक, अभिनेता देकर अपनी सामुदायिक जिम्मेदारी को पूरी तरह पुष्पित और पल्लवित किया है.उसके प्रतिदान में हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या देकर जा रहे है?
आज के दौर में गायकों का कोई स्तर नहीं है, अश्लीलता से भरे गाने गाने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है, चित्रकार अश्लील चित्र बनाकर, थोड़ा प्रचार पाकर ( कभी कभी तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी अनर्गल कर डालने से हिचकिचाते नहीं)  अपने कर्त्तव्य की इतिश्री समझ लेता है. लेखक भी कुछ इसी मानसिकता में जी रहे है. किसी के पास न तो गहन साधना, रियाज और ना ही कला के किये थोड़ा सा त्याग करने का सामर्थ्य नहीं है. हरेक के पीछे बाजारवाद लगा हुआ है, और प्रतिभाओं को अपने हिसाब से संचालित कर रहा है.
इसी तरह अगर प्रतिभाएं एक एक कर तिरोहित होती रहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हमें  सिर्फ रिकार्ड किये गए आवाजो, बनाये गए चित्रों , किताबों से ही अपनी कला की भूख मिटानी पड़ेगी. अगर ऐसा दिन आया तो ये हमारे लिए बड़े शर्म की बात होगी.