27 February 2012

विज्ञापन एजेंसियां


विज्ञापनों की अतार्किक एवं उत्पाद प्रधान स्वार्थी सोच के कुछ नमूने देखने पर ये साफ़ हो जाता है की भारतीय एड एजेंसियां सोच एवं सांस्कृतिक मूल्यों के गिरावट के दौर से गुजर रही है. उनका उद्देश्य भारतीय सभ्यता संस्कृति को ताक पर रखते हुए अपने उत्पाद की महत्ता एवं अनिवार्यता मात्र सिद्ध करना रह गया है.
एक चिप्स से विज्ञापन में एक सैनिक को चिप्स एक पैकेट के लिए जान देता हुए दिखाया गया है. क्या एक सैनिक जंग के मैदान में इतनी बड़ी बेवकूफी कर सकता है?
एक और दूसरे विज्ञापन में एक रेल यात्री को अपने सह यात्रियों से भोपाल का पता पूछते हुए दिखाया गया है. जिसे उसका कोई भी सह यात्री बताने को तैयार नहीं है. हद तो तब हो जाती है जब टीटीई तक तवज्जो नहीं देता.
क्या भारतीय यात्री इतने असहयोगात्मक रवैया रखते हैं?
इसके ठीक उलट भारतीय यात्री अपने सहयात्री से ढेर सारी बातें (राजनीती, मंहगाई, बच्चो की शिक्षा आदि प्रिय विषयों) करता है, एवं छोटे मोटे सहयोग अवश्य करता है.
विज्ञापन एजेंसियां अपने उत्पाद की महत्ता को सर्वोपरि रखने के ललक में, भारत और भारतीय संस्कृति का अपमान करने में कोई गुरेज नहीं कर रही है.
इसे मानसिक दिवालियापन नहीं तो और क्या कहा जाय?

23 February 2012

चंद माइक्रो ब्लॉग



सरकार के कानून मंत्री और इस्पात मंत्री द्वय के द्वारा, मुस्लिम वोट के लिए किसी भी सीमा तक जाने की आतुरता पर जैसे ही चुनाव आयोग ने नकेल कसनी शुरू की, तुरंत सरकार द्वारा चुनाव आयोग की ही नकेल कसने की कवायद शुरु हो गयी.
लोकतंत्र में त्वरित कार्यवाई की बेमिशाल नजीर.
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आतंकवाद निरोध के नाम पर राजशाही सोच के तहत, एकतरफा रायशुमारी से आई बी को असीमित और जबाबदेही रहित शक्तिया देकर , राज्यों के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने की मंशा क्या भारतीय लोकतंत्र को राजतन्त्र की तरफ ले जाने की कुत्सित राजनैतिक प्रक्रिया का लिटमस टेस्ट तो नहीं ?
धन्य है भारतीय लोकतंत्र .
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रोटेशन पालिसी फ्लॉप, नए चेहरो का प्रयोग भी फ्लॉप, मतभेद खुलकर सामने आये, विश्व विजेता दल का असली चेहरा खुलकर सामने आया. फिर भी देश में क्रिकेट अति लोकप्रिय है. बेवकूफी की सीमा लांघता लगाव.

20 January 2012

राजनीतिक चंदा


चुनावी मौसम में आये दिन करोड़ो रूपये और शराब पकडे जाने से ये साफ़ हो जाता है की  वर्तमान चुनाव प्रणाली में चुनाव के दौरान बहुत बड़े मात्रा में धन खर्च होता है. बाहुबली और अपराधी किस्म के लोगों के पास अवैध तरीके से इकट्ठा किया गया धन बड़े मात्रा में होता है. यह सर्वविदित तथ्य है. इसी धन के बलबूते ऐसे लोग  चुनाव जीत कर संसद व विधानसभा में पहुँच जाते हैं. जिसके चलते  भी देश में भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर पहुच चूका है.ऐसे लोगों से आम जनता भ्रष्टाचार दूर करने की आशा भी कैसे कर सकती है. क्या चोर चोरी पकड़वाएगा?
इसी मौके की नजाकत को भांप कर देश के बड़े व्यापरिक घराने राजनीतिक दलों को कानूनी ढंग से चंदा देने का रवैया बड़ी तेजी से अपना रहे हैं. सभी राजनितिक दलों को चंदा देके, व्यापरिक घराने एक खतरनाक खेल को सुरक्षित ढंग से खेलते हुए, संतुलन साधने के कोशिश कर रहे हैं. राजनीतिक और व्यापरिक घरानो का ये घिनौना गठजोड़ देश की बदहाली हेतु  सबसे अधिक जिम्मेदार है.  आधरभूत संरचना और विकास के नाम पर किसानो की जमीन छीन कर , व्यापरिक घरानो को विशेष आर्थिक क्षेत्र, आवासीय फ्लैट, पार्क, एक्सप्रेसवे और अन्य  कई गैर जरूरी कामो हेतु औने पौने कीमत पर बाटने का घटिया खेल चल रहा है.
इस साल के ५ राज्यों के चुनाव में आदित्य बिड़ला समूह ने राजनीतिक दलों को कानूनी चंदे की रकम बढा के चार गुना(३० करोड़), जबकि भारती समूह  ने कानूनी चंदे की रकम घटा के १७ करोड़ से शुन्य कर दिया है.अगर टू जी घोटाला नहीं हुआ होता तो भारती समूह की चंदे के कहानी भी कुछ और ही होता.
देश के मुख्य दल : कांग्रेस व भाजपा के तमाम ज्ञात (?) स्रोतों से क्रमश: ८४ करोड़ और ८२ करोड़ मिल चुके हैं. राकांपा जैसी क्षेत्रीय दल ने भी ३ करोड़ हथिया लिए हैं.
एक आकड़ा पेश है:
कंपनी                                      रकम ( करोड़ रूपया में )
जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट (आदित्य बिड़ला समूह )        ३०.६
एशियानेट टीवी होल्डिंग प्रा. लि.                      १२.५
टोरेंट पावर लि.                                          १०.६
इलेक्टोरल ट्रस्ट (टाटा समूह)                         ९.८
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट एंड कंसल्टेंट्स                ५.५
हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी लि.                     ५.०
आईटीसी लि.                                     ५.०
स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (इंडिया)                         ५.०
के एस के एनर्जी वेंचर लि.                          ४.०
हार्मोनी इलेक्टोरल ट्रस्ट                             ३.५
( आकड़ा के स्रोत : राजस्थान पत्रिका १२.१.१२)
ये  सब आकडे तो  दाल में नमक की तरह हैं. इसके अलावा भी कितने ज्ञात अज्ञात स्रोतों से कितने रकम का  लेन देन होता है ये सब तो देनेवाले  और लेनेवाले ही जानते होंगे. ऐसे माहौल में चुनाव आयोग की सक्रियता, निष्पक्ष चुनाव, पार्टी, उम्मीदवार, विकास, जनहित, और  चाल - चरित्र जैसी बातें मात्र मतदाता को  धोखा देने के आलावा कुछ नहीं है. शायद यही लोकतंत्र की नियति है.



लड्डू,
बैना,
सोहर,
बबुआ के जनम.
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लटके  मुह,
चिढे लोग
कोसना
बिटिया का जमन.
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माँ  रोवे,
बाप रोवे ,
भाई रोवे,
गांव रोवे,
भाभी  हँसे,
बेटी की विदाई.
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सासु धीरज धरावे,
ससुर समझावे,
जेठानी ताना मारे,
रोटी खातिर
पिया परदेश..
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पंखा मिला,
टीवी मिला,
फ्रिज मिला,
गाड़ी भी मिला,
माचिस न मिला,
बहु जलाने हेतु,
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बाहर निर्गुण,
भीतर लटका ,
दावेदारी,
सुसंस्कृत संगीत प्रेमी
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लाठी निकला,
भाला निकला,
माटी खातिर,
माटी में मिला,
माटी का मालिक.

30 December 2011

आइये : गर्व किया जाय

भारतीय वैज्ञानिकों  ने सौर  उर्जा चालित, टच स्क्रीन वाला  ऐसा कम्प्यूटर बनाया है  जो  आई-पोड से भी सस्ता है.
विश्व के ९०% चलने  वाले  कम्प्यूटरों  के चिप का डिजाईन एक  भारतीय द्वारा किया गया है.
विश्व में सबसे अधिक  लोगो को  ( १०,००००० से भी अधिक ) रोजगार  प्रदान करने वाला संगठन भारतीय रेल है,
विश्व में सबसे ज्यादा बिकने वाला डिटर्जेंट पाउडर  ब्रांड भारतीय है
विश्व में सबसे ज्यादा डाकखाने भारत में है .
विश्व के  बेहतरीन बल्लेबाज ,  विश्व वरीयता प्राप्त शतरंज खिलाडी, महिला मुक्केबाज, (Feather weight ) सभी  भारतीय है.
IIT (
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी ) विश्व की  बेहतरीन इंजीनियरिंग प्रतिभा तैयार कर रहा है,
 विश्व के १० सबसे बड़ा धनी लोगों  में भारत के लोग शामिल है,
भारत विश्व का  सरा सबसे बड़ा सड़क श्रंखला वाला देश है,
भारतीय इंजीनियरों ने  विश्व के सबसे ऊँचे पुल का निर्माण द्रास और सुरु नदी ( हिमालय क्षेत्र )  के बीच किया है.
गणित के अति महत्वपूर्ण शाखाओ -  कैलकुलस, trigonometry ( त्रिकोणमिति) ,और  algebra ( बीजगणितकी  उत्त्पत्ति स्थल भारत है,
नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय है,
भारत विश्व का ४था देश है  जिसने  अंतरिक्ष में अपना  PSLV ( Polar Settelit  Launch Vehicle : ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान  ) भेजा है . आदिआदि

यह सर्व विदित है की भारतीय होने  के नाते हमारे पास गर्व करने के लिए  बहुत कुछ है,. हम लोग  उपलब्धि हासिल करने वाले है, मानवता के क्षेत्र में ,
तकनीक के  क्षेत्र में , साहित्य और  संगीत के क्षेत्र में, आध्यात्म के क्षेत्र में. सेवा के क्षेत्र में. त्याग के क्षेत्र में. हमसे कोई भी क्षेत्र अनछुवा नहीं रह गया है.
तो चलिए  जब भी अपने  देश के बारे में किसी  से बात किया जाये  तब हमेशा सकारात्मक रुख अपनाया जाय. भारत  के लिए  जोश को फैलाईये,
जय हिंद