01 March 2011

नेट का प्रयोग : एक सामाजिक जिम्मेदारी

 आज तकनीक के  इतने उन्नत स्थिति में पहुचने के चलते सारा विश्व एक गाँव ( ग्लोबल विलेज ) के रूप में परिवर्तित हो गया है. असंख्य लोग नेट को  अपने  सामाजिक दायरे को बढ़ाने , भावों ,विचारों को संप्रेषित करने  का सुगम जरिया बना रहें है , नेट पर कारोबार, लिखाई - पढाई, दोस्ती, शादी - व्याह और  तलाक तक हो रहा है. कहने का तात्पर्य यह की हर व्यक्ति अपने मतलब और आवश्यकता के अनुरूप नेट का प्रयोग कर रहा है. नेट के  प्रयोग के अपने अपने मकसद और स्वतंत्रताएं  है,  नेट आज मानव  जीवन के समस्त पहलुओं से अभिन्न रूप से जुड़ चूका है. अब हम इसकी अपरिहार्यता को नजरंदाज नहीं कर सकते. बल्कि इसे आत्मसात करने  का समय आ गया है.
लेकिन इसी स्वतंत्रता और मकसद  के बीच  एक  बड़ी बारीक़ सी लकीर  सामाजिक जिम्मेदारीकी भी है.. सामाजिक नेट  के उपयोगकर्ता की ये  नैतिक जिम्मेदारी बनती है  की वह अन्य उपयोगकर्ताओं  के सवालों,समस्याओं का  समाधान  खोजे और उनका समाधान करने की  दिशा में सार्थक  प्रयास करे.
बेबसाइट निर्माण  कोई मुफ्त का काम नही है. तो इस दृष्टि से इसका उपयोग सामाजिक चेतना, अपने सभ्यता - संस्कृति, भाषा, बोली , माटी, तीज त्यौहार, कला ,गीत संगीत आदि के आलावा मानव जीवन से जुड़ी समस्त पहलुओं  के बारे ने जानकारियां आदान-प्रदान कर की जानी चाहिए.  इस सशक्त माध्यम से लोगों को समाज के प्रति अधिकाधिक रूप से जबाबदेह और जागरूक बनाने की पहल करनी चाहिए.
इन दिनों नेट भावों ,विचारों, सूचनाओं , अनुभवों आदि  के बारे में विचार व्यक्त करने का एक सुलभ और सशक्त माध्यम बनता  जा रहा है. हमें सदैव ये कोशिश करनी चाहिए की सदैव उपयोगी और सामयिक सूचनाओं का आदान-प्रदान करें, जो जनहित में हों.
 नेट को  मात्र मनोरंजन और मनबहलाव का जरिया मत बनायें. इसकी शक्ति का उपयोग  सार्थक, प्रासंगिक, सम सामयिक , सदुपयोगी और रचनात्मक सामग्री प्रदान करने के रूप में करें. जिससे दुसरे भी लाभान्वित हो .अंततः हमें इतनी सामाजिक जिम्मेदारी तो निभानी ही चाहिए .

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