15 March 2011

विडम्बना

तेज धुप था ,
शहर गाड़ियों के रेलम पेल से अफना रहा था.
एक  सिगनल पर,

गोद  में एक भूखा बच्चा लिए,
पपड़ी पड़े होठ ,उलझे बाल, कपडे जहाँ तहां से फटे
दिल में अपने बच्चे के लिए  ,
अथाह दुलार लिए ,
वो ..
एक गाड़ी वाले  के खिड़की में,

हाथ डाल  के कुछ खाने केलिए ,
पैसे मांग रही थी,
उसने  ...
खिड़की के  शीशे के बटन दबा दिए,
पेट से भूख  तो  ना निकली 
लेकिन....
एक मर्मान्तक चीत्कार निकली ,
वो ..
अपना भूखे बच्चे को चुप कराती चली गई
और वो
अपना कुत्ते को चूमता चला गया .


 

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