20 January 2012


लड्डू,
बैना,
सोहर,
बबुआ के जनम.
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लटके  मुह,
चिढे लोग
कोसना
बिटिया का जमन.
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माँ  रोवे,
बाप रोवे ,
भाई रोवे,
गांव रोवे,
भाभी  हँसे,
बेटी की विदाई.
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सासु धीरज धरावे,
ससुर समझावे,
जेठानी ताना मारे,
रोटी खातिर
पिया परदेश..
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पंखा मिला,
टीवी मिला,
फ्रिज मिला,
गाड़ी भी मिला,
माचिस न मिला,
बहु जलाने हेतु,
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बाहर निर्गुण,
भीतर लटका ,
दावेदारी,
सुसंस्कृत संगीत प्रेमी
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लाठी निकला,
भाला निकला,
माटी खातिर,
माटी में मिला,
माटी का मालिक.

2 comments:

  1. बहुते बढ़िया लिखले बानी रौवा जी

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    1. बस तनी छोट मोट कोशिश हो रहल बा.

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