15 September 2011

वोट बैंक की राजनीती


दिल्ली का दहलाना इस बात का संकेत है की कुछ भी हो जाये हम न तो वोट बैंक की राजनीती से ऊपर उठेंगे ना ही अपने ख़ुफ़िया तंत्र को चाक चौबंद बनायेंगे. चाहें लोगो की जान जाये,तो जाती रहे.
इस मर्मान्तक घटना के बाद सरकार और उनके लोगों द्वारा हर बार की तरह लीपापोती ( मसलन – अपराधियों के स्केच जारी किये गए हैं, पुलिस को हाई अलर्ट किया गया है,जाँच जारी है, आदि आदि) का घिनौना दौर शुरू हो गया है. हर बार की तरह इस बार भी किसी संगठन ( राजनैतिक नफा नुकसान एवं तथाकथित तुष्टिकरण के मद्देनजर ) पर इसकी जिम्मेदारी डाल कर अपने कर्त्तव्य की इति श्री कर ली जायेगी.
जब तक अफजल गुरु और कसाब सरीखे देश के ह्रदय पर चोट करने वालों को, देश के लोगों के पैसे पर वोट बैंक की राजनीती खातिर पाला जाता रहा जायेगा तब तक ऐसे अपराधियों के हौसले कम नहीं होंगे. फ़ासी की सजा पाने के बावजूद उन्हें बचा लिया जायेगा. भले इसके विरोध में संसद हमले में शहीदों की विधवाएं पदक तक सरकार के मुंह पर दे मारें.

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