28 March 2011

टुटा मन

घर,
अलसाया शरीर,
गाड़ी,
अस्पताल.
डॉक्टर से बातें,
थोड़ा अंतराल.........
उलझा मन
कागज का टुकड़ा,
थोड़ी  सी चिंता,
विचार -विमर्श,
थोड़ा अंतराल.......
डॉक्टर से बातें,
गाड़ी,
टुटा मन
घर वापसी.

3 comments:

  1. उलझा मन
    कागज का टुकड़ा,
    थोड़ी सी चिंता,
    विचार -विमर्श,
    थोड़ा अंतराल.......


    गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
    हार्दिक बधाई.

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  2. खुबसूरत रचना है |
    ---------------------
    यहाँ भी आयें|
    आपकी टिपण्णी से मुझे साहश और उत्साह मिलता है|
    कृपया अपनी टिपण्णी जरुर दें|
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  3. कम शब्दों में ...अंतर्मन की पीड़ा ... बहुत बढ़िया

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