घर,
अलसाया शरीर,
गाड़ी,
अस्पताल.
डॉक्टर से बातें,
थोड़ा अंतराल.........
उलझा मन
कागज का टुकड़ा,
थोड़ी सी चिंता,
विचार -विमर्श,
थोड़ा अंतराल.......
डॉक्टर से बातें,
गाड़ी,
टुटा मन
घर वापसी.
खुबसूरत रचना है | --------------------- यहाँ भी आयें| आपकी टिपण्णी से मुझे साहश और उत्साह मिलता है| कृपया अपनी टिपण्णी जरुर दें| यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.com
उलझा मन
ReplyDeleteकागज का टुकड़ा,
थोड़ी सी चिंता,
विचार -विमर्श,
थोड़ा अंतराल.......
गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
हार्दिक बधाई.
खुबसूरत रचना है |
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आपकी टिपण्णी से मुझे साहश और उत्साह मिलता है|
कृपया अपनी टिपण्णी जरुर दें|
यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.com
कम शब्दों में ...अंतर्मन की पीड़ा ... बहुत बढ़िया
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